इन्फेंट्री डे : पैदल सैनिकों की भावना को सलाम

प्रयागराज : इन्फेंट्री डे, जिसे हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाता है, भारतीय थलसेना के पैदल सैनिकों के अडिग साहस, वीरता और बलिदान की गौरवपूर्ण स्मृति के रूप में खड़ा है। यह दिन 1947 में सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन के वीर जवानों द्वारा श्रीनगर हवाई अड्डे पर की गई ऐतिहासिक हवाई लैंडिंग का प्रतीक है—एक ऐसा अभियान जिसने जम्मू और कश्मीर में पहली हथियारबंद घुसपैठ को नाकाम कर राष्ट्र की संप्रभुता को सुरक्षित रखा।

भारतीय सेना में इन्फेंट्री सबसे बड़ी और सर्वाधिक बहुमुखी शाखा है, जो हर भू-भाग और मौसम में लड़ने के लिए प्रशिक्षित है। चाहे सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर शून्य से नीचे तापमान झेलना हो, घने जंगलों में आतंकवादियों से मुकाबला करना हो, या रेगिस्तानों और मैदानों में सीमाओं की रक्षा करना—हर स्थान पर पैदल सैनिक अपने कर्तव्य के प्रति अडिग है। उसका धैर्य, साहस और राष्ट्र के प्रति अविचल समर्पण सच्चे सैनिकत्व का प्रतीक है।युद्ध के समय हो या शांति के, इन्फेंट्री की भूमिका केवल लड़ाई तक सीमित नहीं रहती। वे आतंकवाद और उग्रवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व करते हैं, संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में योगदान देते हैं, और मानवीय संकटों व प्राकृतिक आपदाओं के समय महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं। उनका तत्परता भाव भारत की सैन्य शक्ति और संकल्प के स्थायी प्रतीक हैं।

इन्फेंट्री डे केवल एक स्मरण दिवस नहीं है—यह उन बहादुर सैनिकों के अतुलनीय साहस और निःस्वार्थ सेवा का सम्मान है, जो धरती पर लड़ते हुए यह सुनिश्चित करते हैं कि देश का तिरंगा सदैव गौरव और सम्मान के साथ ऊँचा फहरता रहे।

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