कोल्हान फतह का मास्टर प्लान! मनोहरपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी में हेमंत!

संतोष वर्मा

चाईबासा: कोलहान टाइगर सह पूर्व मुख्यमंत्री सह झामूमों के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल हो जाने के बाद कोलहान का किला बचाने के लिए किया मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिंहभूम संसदीय क्षैत्र के मनोहरपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी में है इस बात को लेकर चर्चा गरम है।लेकिन वहीं दुसरी ओर जल जंगल जमीन के योद्दा के रूप में जाने जाने वाले स्व देवेंद्र माझी के पत्नी सांसद बनने के बाद मनोहरपुर सीट खाली हो गई है वैसे में किया सांसद जोबा माझी के पूत्र जगत माझी मनोहरपुर विधानसभा सीट छोड़ देगें यह भी चर्चा है।खैर सियासत में ना कोई दांव अंतिम होता है और ना कोई चाल अंतिम होती है. हर चाल की एक काट होती है, निशाना लगा तो मंजील पक्की और चूक हुई तो संघर्ष का रास्ता. कुछ यही कहानी झारखंड की सियासत में दुहरायी जाती दिख रही है. जिस चंपाई सोरेन को भेद कर भाजपा कोल्हान का सपना पाल रही है. चंपाई के पालाबदल के बहाने सोरेन परिवार के उपर परिवारवाद का तोहमत लगाते हुए हवा बांधने की कोशिश कर रही थी. यह जताने की कोशिश कर रही है कि जीत का रास्ता को दूर, हेमंत सोरेन तो पार्टी को एकजूट रखने में विफल साबित हो रहे हैं. जिस चंपाई सोरेन ने दिशोम गुरुजी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर जंगल पहाड़ और गांवों की पगडंडिया तय की, कठीन संघर्ष का दौर देखा, आज ऐसी क्या परिस्थितियां बन गयी कि दिशोम गुरु के उस शिष्य को भाजपा का दामन थामना पड़ा. हमने कोई तोड़-फोड़ नहीं की, सीता हो या गीता या फिर चंपाई सब के सब कांग्रेस-झाममो को सिन्द्धात विहीन राजनीति से त्रस्त होकर खुद भाजपा में आते चले जा रहे हैं.

एक बार फिर से कोल्हान से भाजपा के सफाये की तैयारी

लेकिन चंपाई सोरेन के जिस पालाबदल से भाजपा को कोल्हान के किले दरार की उम्मीद जगी थी. यह रणनीति बनी थी कि चंपाई सोरेन के पालाबदल से पूरे कोल्हान में झामुमो के खिलाफ एक हवा बनने की शुरुआत होगी, और यदि इस हवा में दो चार सीट भी निकल गयी तो सत्ता की चाभी नजदीक आ सकती है, रही सही कसर उतरी छोटानागपुर में और पलामू प्रमंडल में पूरी की जा सकती है. लेकिन इधर भाजपा चंपाई सोरेन को लेकर जश्न की तैयारी में जुटी रही, उधर झामुमो ने रणनीतिकारों ने एक बार फिर से कोल्हान के किले से भाजपा का सफाये का ब्लू प्रिंट की तैयारी शुरु कर दी और अब जो मास्टर प्लान सामने आया है उसके अनुसार सीएम हेमंत को कोल्हान के किले से मोर्चे पर उतारा जा सकता है और सीएम हेमंत कोल्हान में सिर्फ स्टार प्रचारक के रुप में ही मोर्चा नहीं सभालेंगे, बल्कि खुद चुनावी अखाड़े में उतर कर कोल्हान की हवा को एक बार फिर से झामुमो की ओर मोड़ने का काम भी करेंगे. फिलहाल कोल्हान के सभी विधानसभाओं के सामाजिक समीकरण और गणित को समझने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सबसे अधिक संभावना मनोहरपुर के अखाड़े से उतरने की है. दरअसल मनोहरपुर से सीट से जोबा मांझी चुनाव जीतती रही है. जोबा मांझी के पति और झारखंड आन्दोलन का एक प्रमुख चेहरा देवेन्द्र मांझी का यह पुराना कार्यक्षेत्र भी रहा है, मनोहपुर को जोबा मांझी का किला माना जाता है. मनोहरपुर में जोबा मांझी की ताकत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2000 और 2005 का विधानसभा चुनाव में यूजीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ कर झामुमो को परास्त करने में सफल रही है. वर्ष 2000 में जोबा मांझी ने झामुमो उम्मीदवार लक्ष्मण मेलगांडी को करीबन 19446 मतों से शिकस्त देने में कामयाबी हासिल की थी, 29,607 के साथ जोबा मांझी को जीत मिली थी जबकि लक्ष्मण मेलगांडी 10,161 के सात तीसरे स्थान पर सिमट गये थें, जबकि भाजपा के शिवा बोड्रा को 20,572 के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था. कुछ यही स्थिति वर्ष 2005 में हुई तब भी जोबा मांझी ने अपने चेहरे के बूते झामुमो और भाजपा दोनों को पराजित करने में कामयाबी हासिल की थी. लेकिन वर्ष 2009 में जोबा मांझी को भाजपा के गुरुचरण नायक के हाथों मात खाना पड़ा. गुरुचरण नायक को 21360 वोट के साथ जीत मिली तो जोबा मांझी को 20,828 के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा, जबकि झामुमो के नवीन उरांव को 21,090 तक पहुंचने में कामयाबी हाथ लगी, इसके बाद जोबा मांझी ने एक बार फिर से झामुमो का दामन थाम लिया. साफ है कि मनोहरपुर में जोबा मांझी की खुद की सियासी जमीन काफी मजबूत है. इस प्रकार यह सीएम हेमंत के लिए एक बेहद सुरक्षित सीट साबित हो सकती है.

कैसे फंस सकता है मनोहरपुर का पेंच

हालांकि, मनोहरपुर सीट से चुनाव लड़ने में एक पेंच भी है, और वह पेंच है जोबा मांझी के बेटे की सियासी चाहत. मनोहरपुर विधानसभा में उदय मांझी की गिनती एक लोकप्रिय चेहरे के रुप में होती है. मां जोबा मांझी की जीत में भी उदय मांझी का अहम योगदान माना जाता है. जोबा मांझी से खाली हुई सीट पर उदय मांझी मैदान विधानसभा पहुंचने की चाहत रखते हैं. खबर है कि उदय मांझी को फिलहाल अपने सियासी यात्रा को स्थगित करने का सुक्षाव दिया जा रहा है, बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में कोई दूसरी जिम्मेवारी सौंप कर इसकी क्षतिपूर्ति करने की कोशिश भी हो.

सीएम हेमंत के चुनाव लड़ने का क्या हो सकता है असर

यदि सीएम हेमंत मनोहरपुर से चुनावी अखाड़े में उतरते हैं तो इसका असर पूरे कोल्हान पर होगा, झामुमो के पक्ष में एक बार फिर से हवा बनने की शुरुआत होगी और यह चंपाई सोरेन की काट में एक अचूक हथियार भी साबित हो सकता है. हालिया दिनों में जोबा मांझी और सीएम हेमंत लगातार कई समारोह में एक साथ नजर आ रहे हैं, खासकर चंपाई सोरेन के बगावत के बाद जोबा मांझी लगातार भाजपा के अंदर के अंसतुष्टों से मेलमिलाप करती नजर आ रही है. माना जाता है यह सब कुछ इसी रणनीति का हिस्सा है. कोल्हान फतह में जोबा मांझी की भूमिका महत्वपूर्ण अहम रहने वाली है, पार्टी की ओर से विशेष रणनीतिक जिम्मेवारियां भी सौंपी गयी है.

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