डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में भारत और भारतीय ज्ञान प्रणाली पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन

रांची : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के सभागार में अपराह्न 2 बजे विकसित भारत और भारतीय ज्ञान प्रणाली पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य आमंत्रित वक्ता थे, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो डॉ आर.बी.पी सिंह। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारतीय ज्ञान सीमित नहीं है बल्कि इसके तहत भारतीय संस्कृति समाहित है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली भारतीय लोगों की बौद्धिक संपदा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है और उनके अस्तित्व का अभिन्न अंग है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, रीति-रिवाज, विश्वासों और ज्ञान प्रणालियों को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित कर रही है। यह पारंपरिक ज्ञान भारत की ज्ञान प्रणाली और पहचान को बढ़ावा देते हैं। यही ज्ञान परंपरा हमें 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और भूगोल के शिक्षाविद् प्रो आरबीपी सिंह ने विद्यार्थियों को विकसित भारतीय समाज की कल्पना करते हुए , भारतीय ज्ञान पद्धति की विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने भागवत गीता के श्लोकों के माध्यम से भारतीय प्राचीन संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए भगवतगीता के ज्ञान को सामने रखा। उन्होंने कहा कि यह भारत ही हैं जिसने प्राचीन समय से ही लोगों को एकत्रित करते हुए ,ज्ञान का द्वीप प्रज्वलित किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का मूलमंत्र पर्यावरण संरक्षित भारत है। भारत ज्ञान परंपरा की दिशा में काफी समृद्ध है। कार्यक्रम में पूर्व कुलपति और मानवशास्त्री डॉ सत्यनारायण मुंडा ने भी विकसित भारत की संकल्पना पर प्रकाश डाला। इसके अलावा इस व्याख्यान में पूर्व कुलपति प्रो डॉ यूसी मेहता ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में विषय प्रवेश और मंच संचालन डॉ अभय कृष्ण सिंह ने किया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग और आईक्यूएसी के संयुक्त सौजन्य से आयोजित किया गया था। यह जानकारी पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह ने दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *