खूँटी । आज जेठ माह की अमावस्या तिथि है और सुहागिन महिलाएँ पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रख रही हैं। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके वटवृक्ष के नीचे भगवान की पूजा अर्चना करेंगी और वट सावित्री कथा का श्रवण करेंगी।
वट सावित्री व्रत का महत्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत अधिक है। इस दिन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और वट पेड़ की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज ने देवी सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को बरगद के नीचे ही लौटाया था। वही आज वटवृक्ष को मौली धागा से लपेटकर पूजा अर्चना करेंगी।
वट सावित्री व्रत के लिए सुहागिनों ने की तैयारी
वट सावित्री व्रत के एक दिन पूर्व रविवार को खूंटी का पूजा बाजार में काफी भीड़ भाड़ रहा। महिलाएँ बाजार जाकर पूजा सामग्री, ऋतु फल, और श्रृंगार की वस्तुएँ खरीदी। साथ ही, हाथों में मेहंदी रचाई। और पूजा व उपवास व्रत के लिए पूरी तैयारी कर ली है।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
– *स्नान और शृंगार*: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके पीले या लाल रंग की साड़ी पहनें और सोलह शृंगार करें।
– *व्रत का संकल्प*: हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
– *पूजा*: वट के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें और उनकी पूजा करें।
– *अर्पण*: पेड़ में जल, अक्षत, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
– *परिक्रमा*: वृक्ष में रक्षा सूत्र (कलावा) बांधें और सात बार परिक्रमा करें।
– *कथा श्रवण*: हाथ में काले चने लेकर व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
– *दान*: ब्राह्मण को दान दें।
– *व्रत का पारण*: शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।