तसर रेशम उत्पादन से ग्रामीण रोजगार सृजन की असीम संभावना : डॉ एनबी चौधरी

रांची : तसर उद्योग को गति प्रदान करने हेतु दिनांक 08 जनवरी, 2025 केंद्रीय रेशम बोर्ड- केन्‍द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची एवं महाराष्ट्र राज्य रेशम विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आरमोरी गढ़चिरौली महाराष्ट्र में तसर रेशम कृषि मेला-2025 का हुआ वृहद् आयोजन किया गया. डॉ.एन.बी.चौधरी, निदेशक केंद्रीय रेशम बोर्ड-केन्‍द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची ने कहा कि संस्थान एवं राज्य रेशम विभाग का आरमोरी गढ़चिरौली महाराष्ट्र व आसपास के क्षेत्रों में तसर के उन्नयन में अप्रतिम योगदान है एवं तसर रेशम उत्पादन से ग्रामीण रोजगार सृजन की असीम संभावना. तसर उद्दोग जल, जंगल, जमीन एवं पर्यावरण का संरक्षण में तसर उद्दोग की भूमिका निभाता है कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ने कहा कि पत्ती से रेशम बनाने की अद्भुत कला प्रकृति ने तसर रेशम कीट को प्रदान किया है, तसर रेशम अपनी समृद्ध बनावट और प्राकृतिक, गहरे सुनहरे रंग के लिए मूल्यवान है, और इसके अनेक एकोरेश भारत के विभिन्न राज्यों में उत्पादित की जाती हैं। भारत में तसर रेशम उद्दोग से जुड़े 3.5 लाख परिवार जुड़े हैं हैं, तसर रेशम उद्दोग गरीब लोगों के आय सृजन के लिए रोजगार के अवसरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ.एन.बी.चौधरी, निदेशक केंद्रीय रेशम बोर्ड-केन्‍द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची ने बताया कि संस्थान तसर रेशम के अनुसंधान और विकास के लिए समर्पित देश की एकमात्र संस्थान के रूप में कार्य करता है। आगामी वर्ष में तसर को बढ़ावा देना और उत्पादकता बढ़ाना अनुसंधान एवं विकास का मुख्य फोकस क्षेत्र होगा. तसर रेशम को इसकी चमक और अद्वितीय गुणवत्ता के साथ-साथ बड़े पैमाने पर गरीब आदिवासियों और महिलाओं की संख्या के पारंपरिक ग्रामीण स्तर के व्यवसाय के कारण एक विशिष्ट और अद्वितीय सामग्री के रूप में लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। नवीन तकनीकियों की जानकारी सुदूर अंचलों में पहुँचाने का परिणाम है की कृषक आज अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं भारत में तसर का महत्वपूर्ण स्थान है हमारा मूल उद्देश्य तसर रेशम उत्पादन में सुधार और संवर्धन के लिए नवीनतम् तकनीकों और पद्धतियों की पहचान करना और उन्हें कृषकों द्वारा अपनाना है । आने वाले वर्षों में सिल्क समग्र के माध्यम से रेशम उद्दोग को नयी गति प्रदान की जायेगी. मिट्टी से रेशम बनने तक के विभिन्न शोध आयामों को जीवंत गति प्रदान करने में केंद्रीय रेशम रेशम बोर्ड का योगदान रहा है जो कि राष्ट्रीय स्तर पर अपने को स्थापित करने में प्रभावी भूमिका अदा किया है। तसर बहुत महत्वपूर्ण है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.एन.बी.चौधरी, निदेशक ने किया जिसमें डॉ.महेंद्र धावले, उप निदेशक, डीओएस, महाराष्ट्र, श्री लाडगांवकर सहायक निदेशक, डीओएस, महाराष्ट्र, श्री नीलेश गेदाम, ब्लॉक कृषि अधिकारी, 5)श्री महेश परांजपे, अनुविभागीय कृषि अधिकारी, श्री अजय वासनिक, जिला रेशम उत्पादन अधिकारी, डीओएस, महाराष्ट्र सहित कुल 210 लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम का एंकरिंग- श्री सी.आर.वासनिक, जिला रेशम उत्पादन अधिकारी, अर्जुनी-मोरगांव एवं धन्यवाद ज्ञापन – श्री अनिल कुमार ढोले, जिला रेशम उत्पादन अधिकारी, भंडारा ने किया. कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक डा जगद्ज्योति एवं डा जीतेन्द्र सिंह ने सहभागिता किया.

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