गृह त्यागी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी के परिवार सम्मान से भी हुए उपेक्षित

 स्वतंत्रता सेनानी सिंगराज सिंह मानकी के परिवार को आजादी के दिन भी नहीं किया गया याद 

ब्रजेश कुमार

खूँटी । देश आजादी का 76 वर्ष बीत गये और आज 77वाँ स्वतंत्रता दिवस है। लेकिन खूँटी के एकमात्र जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए विवश किया। और अंग्रेजी हुकूमत को स्वीकार नहीं की। ऐसे गृह त्यागी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी सिंगराज सिंह मानकी के परिवार आज के दिन कुछ नहीं तो सम्मान से भी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। जिनकी वृद्ध पत्नी ने बताया कि उन्हें जिला प्रशासन याद तक नहीं करता है।  

स्वतंत्रता सेनानी की उपेक्षा करके सम्मान नही मिलने से दुखी है सिंहराज सिंह मानकी के परिवार

  गांधी जी के साथ साबरमती आश्रम में रहकर कदम से कदम मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन में चलनेवाले खूंँटी जिले के स्वतंत्रता सेनानी सिंगराज सिंह मानकी के परिवार को सम्मान नहीँ मिलने से दुखी हैं। इनके परिवार को स्वतंत्रता दिवस पर भी बुलाया नहीं जाता। एक तरफ पूरा देश तिरंगा सम्मान पर कार्यक्रम कर रही है, लेकिन खूंटी जिला प्रशासन को इसकी फिक्र है और न ही स्थानीय नेताओं को।

जिन्होंने देश की के लिए घर द्वार सभी को छोड़कर जिलों और राज्यों को लांघ गुजरात जाकर अंग्रेजी हुकूमत को अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को स्वतंत्र कराने में योगदान दिया था। लेकिन इनके परिवार को किसी भी कार्यक्रम में पूछा नहीं जाता है, इसका इन्हें मलाल है। प्रखण्ड क्षेत्र के जोजोहातु गाँव निवासी रहे आदरणीय सिंगराज मानकी के नाम का प्रखण्ड मुख्यालय में शिलालेख है। जिसमें स्वतंत्रता सेनानी के नामों में सिंगराज सिंह मानकी जी का इकलौता नाम है।

बता दें कि,  जिले में उत्कृष्ट कार्य करने वाले को जिला प्रशासन स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करती है। जो जिला प्रशासन के दृष्टिकोण से वे अच्छे कार्य किए हैं। लेकिन देश को स्वतंत्र कराने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने वाली गृहत्यागी गांधीजी के सहयोगी स्वर्गीय सिंगराज सिंह मानकी का परिवार जोजोहातु गाँव के अपने घर में ही सिमट कर रह गया है।

देश की स्वाभिमान की रक्षा राजनेता तो करते हैं लेकिन जिन्होंने एक जनजातीय किसान परिवार के युवक रहे सिंगराज सिंह मानकी अभावग्रस्त स्थिति में देश को आजादी दिलाने में भूमिका निभाई थी। आज ऐसे परिवार को भुला दिए गए। जिले की किसी भी कार्यालय और राजनेताओं की कार्यालयों में इनका चित्र तक देखने को नहीं मिलता है। लेकिन सिंगराज सिंह मानकी जी को कोई पहचानता तक नहीं। 

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हमें सम्मान देना तो दूर की बात, जिला प्रशासन याद तक नहीं करती जबकि प्रखण्ड कार्यालय में नाम उकेरित है – गोवर्धन 

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 सिंहराज सिंह मानकी का पुत्र गोवर्धन सिंह मानकी ने बताया कि किसी भी कार्यक्रम में जिला प्रशासन पूछता तक नहीं है और कभी भी स्वतंत्रता सेनानी के नाम सम्मान भी नहीं दिया। हमारे पिताजी को केवल एक ही व्यक्ति सम्मान दी। जो तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी 1972ई में दिल्ली बुलाकर ताम्रपत्र देकर सम्मानित की थी। राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी थे तब राँची बुलाया गया था। लेकिन अब इस परिवार को जिला प्रशासन और राजनेता भूल गये। जिसका स्वतंत्रता सेनानी सिंगराज सिंह मानकी के परिवार को मलाल है। हमें सम्मान दे न दे लेकिन आज भी स्वतंत्रता सेनानी की धर्मपत्नी जीवित है उन्हें याद तक नहीं किया जाता है। 

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