सफलता की कहानी : सुनीता देवी की सरसों तेल मिल, महिलाओं को सशक्त बनाने की एक मिसाल हैं

सिमडेगा: सुनीता देवी, सिमडेगा जिले के खिजुरटांड़ गाँव की एक आदिवासी महिला हैं। खेती और दिहाड़ी मजदूरी ही उनके परिवार की आय के साधन थे, जो कि अस्थिर और मौसमी होते थे। 2016 में उन्होंने JSLPS द्वारा बनाए गए ‘सूरज स्वयं सहायता समूह’ से जुड़कर अपनी आजीविका सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाया।
सरसों तेल मिल की शुरुआत का विचार कैसे आया?
ठेठईटांगर ब्लॉक में सरसों की अच्छी पैदावार होती है, लेकिन किसान अपने बीजों को उचित मूल्य पर बेच नहीं पाते थे क्योंकि पास में कोई तेल निकालने की सुविधा नहीं थी। स्थानीय किसानों को 40 किमी दूर ओडिशा के बिरमित्रापुर जाना पड़ता था।

2018 में जेएसएलपीएस के तहत स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम के द्वारा ग्रामीण महिलाओं को गैर-कृषि गतिविधियों की ओर प्रोत्साहित किया गया, तब सुनीता दीदी ने देखा कि सरसों के बीज बहुतायत में होते हैं और शुद्ध सरसों तेल की मांग भी है।
एक आजीविका प्रशिक्षण यात्रा के दौरान उन्होंने खूंटी जिले के तोरपा ब्लॉक में एक महिला संचालित तेल यूनिट देखी। इससे प्रेरित होकर उन्होंने अपने गाँव में सरसों तेल मिल खोलने का निश्चय किया।

वित्तीय सहायता
स्टार्टअप एंटरप्रेन्योरशिप विलेज प्रोग्राम के तहत कार्यरत सीआरपी-ईपी के द्वारा इनका व्यापार योजना बनाकर समूह सामुदायिक उद्यम निधि से 35,000 रुपया, समूह के माध्यम से 10,000 रुपया एवं स्वयं का योगदान 20,000 रूपये कुल ₹6,50,00 लगाकर तेल मिल की स्थापना की।

  1. मशीन संचालन और रखरखाव प्रशिक्षण:
    सुनीता ने कभी पहले मशीन नहीं चलाई थी। JSLPS और स्थानीय वेंडर की मदद से उन्होंने मशीन चलाना, सुरक्षा उपाय और मरम्मत कार्य सीखा। यह मशीन हाथ से चलती है, अधिक उत्पादन के लिए कभी-कभी पति की मदद लेनी पड़ती है।
  2. बाजार से जुड़ाव:
    शुरुआत में उन्होंने तेल स्थानीय स्तर पर बेचा, लोगों का विश्वास जीतना चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने JSLPS ब्रांडिंग के साथ 1 लीटर, 500ml, 200ml और 100ml की बोतलों में पैकिंग शुरू की।
  3. कच्चा माल खरीदना और भंडारण:
    सरसों की फसल साल में एक बार (फरवरी–मार्च) होती है। बीज को थोक में खरीदने और भंडारण करने में पूंजी की कमी और गोदाम की समस्या रहती है। उपलब्धियाँ और परिणाम
    दैनिक उत्पादन: 30–40 लीटर तेल

मासिक उपलब्धि: ₹35,000–₹45,000

मासिक शुद्ध लाभ: ₹10,000–₹12,000

उप-उत्पाद लाभ: तेल निकालने के बाद बचे खली को पशु चारा के रूप में बेचकर उन्होंने ₹1 लाख से अधिक की अतिरिक्त आमदनी की।

भविष्य की योजना
बिजली से चलने वाली बड़ी मशीन खरीदने की योजना है जिसकी क्षमता 10–20 किलो प्रति घंटा होगी।

किराना दुकानों और होटलों को सप्लाई करने की योजना बनाई है।
अपने उत्पाद को ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से बेचने का भी लक्ष्य है।

सुनीता देवी की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि अगर सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता मिले, तो ग्रामीण महिलाएं भी सफल उद्यमी बन सकती हैं और न केवल खुद को बल्कि पूरे परिवार और समाज को सशक्त बना सकती हैं।

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