रांची। रिनपास ने अपने 99 साल पूरे कर लिए है। विभाग के सूत्रों के अनुसार 1775 में अंग्रेजी हुकूमत में पहले मुंगेर मे इसकी स्थापना की उन दिनों रिनपास में अंग्रेज सिपाहियों के मानसिक रोगियों का इलाज होता था इसके बाद 1958 में एकीकृत बिहार के पटना जिले में स्थानांतरित किया गया। सन् 1925 के 4 सितंबर को रांची जिले कांके के में इसकी स्थापना हुई। इसी कड़ी में 4 सितंबर 2024 को रिनपास अपना 99 साल मना रहा है। रिनपास में एक समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें तमाम संस्थान के साथ छात्र , कर्मचारी मौजूद थे ।

अपने उद्घाटन भाषण में रिनपास के संस्थान की प्रभारी निदेशक डा. जयति सिमलाई ने संस्थान के संक्षिप्त इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि यहां न केवल मनोरोगियों के लिए इलाज की व्यवस्था है बल्कि आज के दिन अवसाद ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग और ड्रग एडिक्शन का इलाज होता है।
कंप्यूटर और मोबाइल गेम्स, वीडियो जिनमें आक्रामकता, हिंसा और अश्लीलता है वह हमारे बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है। इससे अबोध बाल मन पर हमारी संस्कृति सभ्यता के प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। यह बात राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रांची तंत्रिका मनोचिकित्सा एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के 99वां स्थापना दिवस समारोह पर कही।भारत की समृद्ध सभ्यता, संस्कृति और भाषा पर चीन सहित कुछ अन्य देश लगातार हमला कर रहे हैं। उन्होंने रिनपास के विशेषज्ञों, माता पिता और समाज के प्रबुद्धजनों को आगे बढ़कर इससे बच्चों को सतर्क करने की बात कही। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र में शोध के साथ ही अपने राजस्व को बढ़ाने की दिशा में भी कार्य करने को कहा। विदित है कि रिनपास एक स्वायत्तशासी संस्थान है। कहा कि रिनपास में दिए जाने वाले विभिन्न व्यावसायिक कौशल से मरीजों को स्वावलंबी बनने में मदद मिलती है। मरीजों को प्रोत्साहन राशि भी दिया जाता है। यह कौशल और राशि उनको घर लौटने पर सहायक बन सके इसपर और अधिक कार्य किया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य सचिव अजोय कुमार सिंह ने कहा कि रिनपास को सरकार शताब्दी वर्ष के लिए विशेष वित्तीय सहायता देने का प्रयास करेगी। लेकिन इसके लिए वे ठोस विकासात्मक योजनाओं की रूपरेखा तैयार किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को आरंभिक स्थिति में ही चिन्हित करने पर बल दिया ताकि समय से इलाज हो सके। उनका की हमें भी बदलते परिवेश स्टेशन के रूप हर क्षेत्र में बदलाव करना चाहिए तनाव ज्यादा हो या कम तेजी से बच्चों में बढ़ रहा है।

पूर्व स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि आज के दिन टेंशन सभी के जीवन का हिस्सा बन गया है । हम अगर अधिक मात्रा में खरीद भी रहे हैं जिसे इंपलि्सव शॉपिंग कहते हैं वह भी मनोरोगी है। मोबाइल ,व्हाट्सएप ,मोबाइल गेम्स इत्यादि दिन भर प्रयोग करना यह भी मनोरोगी का हिस्सा है।

तकनीकी सत्र में निमहांस बेंगलुरु के डॉ मनोज कुमार शर्मा ने बिहेवियरल एडिक्शन विषय पर कहा कि अब डिजिटल उपवास की जरुरत महसूस होने लगी है। कहा कि डिजिटल माध्यमों मोबाईल, इंटरनेट, लैपटाप आदि के अत्यधिक उपयोग ने हम सभी के जीवन को प्रभावित करना शुरु कर दिया है। कहा कि पोर्न साइट्स, आनलाइन गेमिंग, जुआ के साथ ही शेयर बाजार में निवेश की लत भी विकराल रूप लेने लगी है। आयोजन की अध्यक्षता सीआईपी के नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉक्टर संजय कुमार मुंडा तथा आयोजन सचिव डॉक्टर मशरूर जहां ने किया। संस्थान के श्रेष्ठ कर्मियों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर अमूल रंजन सिंह, डॉक्टर मनीषा किरण, डॉक्टर भुवन ज्योति, डॉक्टर पवन सिंह सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी सम्मिलित हुए।