सिविल सर्जन कार्यलय, गोड्डा में विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर कार्यक्रम हुआ आयोजित

बासु कुमार

गोड्डा : सिविल सर्जन कार्यलय, गोड्डा में विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का सिविल सर्जन डॉ0 अनंत कुमार झा, डीआरसीएचओ, डॉ0 मो0 खालिद अंजुम के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रजवल्लित कर विधिवत शुभारंभ किया गया
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन, गोड्डा डॉ0 अनंत कुमार झा ने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह से 7 अगस्त 2024 तक मनाया जाएगा उन्होंने कहा कि नवजात के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ और नहीं है नवजात बच्चे के लिए मां का दूध सबसे उत्तम एवं सम्पूर्ण आहार है। यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है
सिविल सर्जन ने कहा कि जन्म के एक घंटे के भीतर मां के पीले गाढ़े दूध में कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। यह दूध बच्चों में शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। ऐसे में प्रसव के तुरंत बाद डॉक्टरों और कर्मचारियों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है कि नवजात को तुरंत दूध जरूर पिलाएं। ऐसा करने से मां और बच्चों में आत्मीय लगाव भी बढ़ता है।
उन्होंने आगे कहा कि बोतलबंद दूध बच्चे के लिए खतरनाक, प्रचार प्रसार पर है रोक बोतलबंद दूध और बोतल बच्चों के लिए खतरनाक माना गया है। बोतल में दूध पिलाने से बच्चों में कई तरह की बीमारियां घर कर लेती है। बोतल संक्रमण के स्त्रोत होते है और अतिसार उत्पन्न कर सकते है। बोतल का दूध पिलाने से बच्चा उल्टी, दस्त, निमोनिया आदि से ग्रस्त हो सकता है। ऐसे बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार होते हैं। शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता भी घटता है
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसीएमओ डब्लूएचओ ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मां को बच्चे के जनम के एक घंटे के अंदर ही उसे दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए। मां को अगले 6 महीने तक लगातार बच्चे को दूध जरूर पिलाना चाहिए। इसके बाद बच्चे के 2 साल के होने तक उसे कभी-कभी दूध पिलाते रहने चाहिए।यह बच्चे और मां की इच्छा पर आधारित होता है। बच्चे को दूध पिलाने वाली मां के स्तनपान (Breastfeed) कराने के कई फायदे मिलते हैं। बच्चे को जन्म के बाद स्तनपान कराने से हीलिंग प्रोसेस तेज हो जाता है। ब्रेस्टफीड कराने के दौरान कैलोरी बर्नआउट होता है जो पोस्टपार्टम वेट जल्दी घटने में मददगार है। वहीं हड्डियों में होने वाली दिक्कतें जैसे ओस्टियोपोरोसिस और आर्थराइटिस का खतरा कम होता है। उन्होंने कहा कि बच्चे को दूध पिलाना इमोशनल सैटिसफेक्शन को बढ़ावा देता है, जिससे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कम होने में मदद मिलती है।
वहीं कहा कि स्तनपान कराते वक्त बच्चे और मां में होने वाले स्किन टू स्किन कोंटेक्ट दोनों के लिए अच्छा होता है। यह बच्चे से भावनात्मक रिश्ता मजबूत करने का भी एक तरीका है
इस मौके पर डॉ0 मो0 खालिद अंजुम डीआरसीएचओ गोड्डा, डॉ0 सुमन डेओरी, शिशु विशेषज्ञ सदर अस्पताल गोड्डा, एसएमओ , डब्ल्यूएचओ ,गोड्डा ,जिला कार्यक्रम प्रबंधक लॉरेटस तिर्की, डीपीसी आरिफ हैदर, धर्मेंद्र कुमार डीडीएम, जिला शहरी स्वस्थ्य प्रबंधक जय शंकर, डीपीएमयू कोऑर्डिनेटर अशीश कुमार, प्रणव प्रसून झा, अर्बन कम्यूनिटी फेसिलिटेटर बेबी कुमारी एवं नगर की साहिया महिला आरोग्य समिति के सदस्य तथा स्वास्थ्य कर्मचारी मौजूद थे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *