भारतीय ज्ञान प्रणाली सिर्फ अतीत का अवशेष नहीं बल्कि एक जीवंत परंपरा है : कुलपति प्रो डॉ तपन कुमार शांडिल्य

रांची : 27 दिसंबर से 29 दिसंबर तक कुरुक्षेत्र में तीन दिवसीय इंडियन इकोनॉमिक एसोसियेशन का 107 वा वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय आयोजन में राष्ट्रीय स्तर पर लब्ध प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और शिक्षाविद् शामिल हो रहे हैं। इस तीन दिवसीय अधिवेशन के प्रारंभ में देश के पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री और इंडियन इकोनॉमिक एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष रहे डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर उपस्थित शिक्षाविदों और अर्थशास्त्रियों ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि प्रकट की । इसके उपरांत इस तीन दिवसीय अधिवेशन की शुरुआत हुई। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति प्रो डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने आज इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन, जो कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सौजन्य से कुरुक्षेत्र में आयोजित बतौर अध्यक्ष शामिल हुए। उन्होंने पहले दिन इस अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए सस्टेनेबल, डेवलप्ड एंड आत्मनिर्भर भारत, विषय पर अपना अध्यक्षीय संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ज्ञान की भूमि रहा है, सभ्यता का उदगम स्थल रहा है जिसने दुनिया की कुछ सबसे गहन और स्थाई ज्ञान परंपराओं को पोषित किया है। आम भाषा में कहा जाए तो भारतीय ज्ञान प्रणाली ज्ञान हस्तांतरण की एक विधि है और एक संगठित प्रणाली है जो ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाती है। इसके उपरांत उन्होंने कहा कि चूंकि यह एक आर्थिक सम्मेलन है तो इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में लंबे समय से अर्थ की अवधारणा भारतीय दर्शन के लोकाचार में गहराई से निहित है। उन्होंने कहा कि जैसा कि चाणक्य ने कहा है कि, सुख का मूल धर्म है, और धर्म का मूल अर्थ है। यह कथन इस बात को रेखांकित करता है कि भौतिक समृद्धि ही वह आधार है जिस पर नैतिक और आध्यात्मिक उद्देश्य टिके रहते है। आज प्रथम दिन में कई तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिसमें देश के महत्वपूर्ण अर्थशास्त्री और शिक्षाविद् जैसे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सोमनाथ सचदेव, देवेंद्र अवस्थी, अशोक कुमार चौधरी, अटल बिहारी बाजपेई, बिलासपुर के कुलपति प्रो डॉ एडीएन बाजपेई, विजय कुमार पटनायक, पूर्व मुख्य सचिव, ओड़ीसा, अशोक मित्तल, पूर्व कुलपति, बी आर आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा और टी एन साहू, कुलपति, झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी शामिल हुए। यह जानकारी पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह ने दी।

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