
सुंदरम कुमार की रिपोर्ट
चैनपुर: चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कातिंग पंचायत का गांव जोबला पाठ आज भी विकास की बाट जोह रहा है जोबला पाठ आदिम जनजाति बाहुल गांव है जहां आज भी बिजली- पानी -सड़क का है घोर किल्लत किस युग में जी रहे हैं यहां के लोग, देखने के लिए सरकारी नुमाइंदों को फुर्सत नहीं है गांव तक पंहुच पथ नहीं होने के कारण अधिकारी गांव नहीं जाना चाहते है बताते चलें कि इस गांव में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ, रोजगार, आंगनबाड़ी केंद्र, जन वितरण प्रणाली दुकान आदि मौलिक सुविधाओं का अभाव है। जोबला पाठ जाने के लिए सड़क नहीं है। लोग पगडंडियों के सहारे बाजार,जिला मुख्यालय, प्रखंड मुख्यालय पंचायत, एवं स्कूल कॉलेज आना जाना करते हैं।
पहाड़ी पगडंडियों के सहारे 8 किमी दूर जाते हैं लोग स्वास्थ्य केंद्र
जोबला गांव में स्वास्थ्य के लिए कोई साधन नहीं है। यहां के लोगों को उप स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए पहाड़ी के नीचे चितरपुर गांव या फिर 8 किलोमीटर दूर टोंगो गांव जाना पड़ता है सड़क नहीं रहने के कारण बीमार व्यक्तियों को खटिया में टांग कर अस्पताल ले जाना पड़ता है।
पानी के लिए हाहाकार,एक भी चापानल नही
जोबला गांव में पानी के लिए हमेशा हाहाकार मची रहती है। एक भी चापाकल नहीं है नल जल योजना से दो जलमिनार लगाया गया है जो खराब और बेकार पड़ा है गांव के लोग कुंए का गंदा पानी पीने को विवश हैं गर्मीयों में कुएं का पानी सूख जाने से स्थिति और भी बदतर हो जाती है
राशन दुकान के लिए 8 किमी दूर जाते हैं लोग
जोबला गांव में आदिम जनजाति के लोग रहते हैं जिन्हें सरकार के द्वारा डोर टू डोर राशन पहुंचाने का प्रावधान है लेकिन गांव के लोगों को राशन लेने के लिए 8 किमी दूर टोंगो गांव आना पड़ता है
ढिबरी युग में जीने की विवश्ता, गांव में बिजली नही पहुंची
पूरे भारत में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत गांव में बिजली पहुंचाई जा रही है लेकिन जोबला गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंची है यहां के लोग आज भी ढिबरी युग में जी रहे है
पहाड़ पर बसे इस गांव में नही है शौचालय की व्यवस्था, खुले में शौच करते ग्रामीण
स्वच्छता विभाग की ओर से भारत के हर गांव में शौचालय बनाया जा रहा है। लेकिन सिमरा जरा गांव में किसी के घर में शौचालय नहीं बना है.लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है।
गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं
जोबला गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं है यहां के लोग जलावन लकड़ी,दतवन एवं दोना पत्तल बेचकर अपनी जिवीका चलाते हैं
सरकारी योजनाओं से वंचित हैं इस गांव के लोग
जोबला गांव के लोगों की मानें तो सरकारी लाभ के नाम पर बस उन्हें राशन ही मिल पाता है बाकी अन्य योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है जबकि सरकार के द्वारा आदिम जनजातियों के लिए अनेक प्रकार की लाभकारी योजना चला रही है