पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के…
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सामाजिक उल्लास की परम्परागत व्यवस्था ही उत्सव है
सत्य, शिव और सौंदर्य अस्तित्व का प्रसाद हैं। प्रसन्न होने के लिए यह सब पर्याप्त है।…
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