बोकारो: हिंदू परिवार डेढ़ सौ साल से मना रहा मुहर्रम

बोकारो: बोकारो जिला अंतर्गत नावाडीह प्रखंड के बरई गांव का एक हिंदू परिवार 150 वर्षों से मुहर्रम का त्योहार मना रहा है. ग्रामीणों के अनुसार इसकी शुरुआत वहां के पूर्व जमींदार स्व पंडित महतो ने की थी और उनके वंशज आज भी उसे निभा रहे हैं. इसमें गांव के अन्य लोग भी शामिल होते हैं, जबकि गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है. पूर्व जमींदार पंडित महतो के परिवार ने अपनी जमीन पर एक इमामबाड़ा व कर्बला भी बनाया है. मुहर्रम को लेकर इस साल भी इमामबाड़ा व कर्बला में लोगों ने ताजिया का निर्माण करने के लिए पहले फातिहा पढ़ी. बुधवार को ताजिया को गांव में घुमाया जायेगा और गांव के कर्बला में दफन किया जायेगा.

आजादी के पहले से चल रही परंपरा

स्व पंडित महतो के वंशज सहदेव साव, योगेंद्र साव, चिंतामणि साव, रवि कुमार, सुरेश साव, उपेंद्र साव, शंभू साव , जितेंद्र साव , कुंदन कुमार ने बताया कि उनके पूर्वज बरई गांव के जमींदार थे. आजादी के पहले पास वाले गांव बारीडीह के तत्कालीन जमींदार से सीमा विवाद को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था. इस मामले को लेकर हजारीबाग न्यायालय में मुकदमा चला और उसमें स्व पंडित महतो को फांसी की सजा सुनायी गयी थी. जिस दिन फांसी दी जानी थी , उस दिन मुहर्रम था. जब उनसे अंतिम इच्छा पूछी गयी तो उन्होंने मुजावर से फातिहा सुनने की इच्छा जाहिर की. इच्छा पूरी होने के बाद फैसला अनुसार उन्हें फांसी देने के लिए ले जाया गया। लेकिन तीन बार फांसी का फंदा खुल गया और ब्रिटिश कानून के तहत उन्हें मुक्त कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने नावाडीह प्रखंड के सहरिया गांव के मुजावर की देखरेख में बरई गांव में इमामबाड़ा व कर्बला बना कर मुहर्रम के मौके पर फातिहा पढ़ा और ताजिया बनाकर जुलूस निकाला. तब से स्व पंडित महतो के वंशज उसे परंपरा मानकर अबतक निभा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *