राँची । IMA एवं JHASA का संयुक्त इमरजेंसी मीटिंग आईएमए भवन , करमटोली रांची में आयोजित हुआ । बैठक में मुख्य रूप से दो एजेंडा पर चर्चा हुई । जिसमे बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम, उसका वेतन से जुड़ाव एवं उससे संबंध जटिल क्रॉस वेरिफिकेशनल पोर्टल तथा क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन।
बैठक में विभिन्न जिलों से संगठन के 100 से ज्यादा सदस्यों ने भाग लिया । कार्मिक विभाग के अधिसूचना के आधार पर बायोमेट्रिक अटेंडर सिस्टम बनाया गया है एवं माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा लिए गए निर्णय पर विस्तार से चर्चा की गई और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि संगठन बायोमेट्रिक अटेंडेंस पद्धति का विरोध नहीं करता लेकिन वर्तमान में 03 जिलों पलामू, साहिबगंज एवं गढ़वा में इसे वेतन से जोड़ा गया है एवं विभाग द्वारा इससे संबंधित एक ऑनलाइन पोर्टल लागू किया गया है, जिससे ड्यूटी करने के बाद भी चिकित्सक एवं पाराकर्मियों को बार-बार स्पष्टीकरण एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई, वेतन अवरुद्ध एवं वेतन की कटौती जैसी समस्याएं होगी ।इससे चिकित्सकों में रोष है। विभाग को इससे पहले संगठन के पदाधिकारी के साथ एक बैठक लेनी चाहिए थी। अतः मजबूरन झारखंड के सभी चिकित्सक 20 अगस्त दिन मंगलवार से बायोमैट्रिक अटेंडेंस का बहिष्कार करेंगे। निष्ठा पूर्वक एवं ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करेंगे, अपनी उपस्थिति ऑफलाइन रजिस्टर में अंकित करेंगे, लेकिन बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं बनाएंगे जब तक कि:-
1) यह समान रूप से राज्य सरकार के सभी विभागों के सभी सरकारी कर्मियों के लिए लागू नहीं हो जाता। कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड सरकार के अधिसूचना संख्या 5637 दिनांक 2413 के अनुसार यह राज्य सरकार के सभी कर्मियों पर लागू होगा। पॉइंट नंबर 3 में सभी विभाग को अपने अधीनस्थ सभी स्थापनाओं में कार्यरत प्रत्येक कर्मी के द्वारा इस ऑनलाइन बायोमेट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया है।
2) ग्रामीण इलाकों, विशेष कर हार्ड टू रीच एवं वेरी हार्ड टू रीच जगहों पर बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था, नेटवर्क एवं सर्वर उपलब्ध नहीं करा दिए जाते। माननीय मुख्य सचिव महोदय के द्वारा सभी उपायुक्त को निर्देश दिया गया है कि झारखंड मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना के क्रियान्वयन के संबंध में क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी अथवा सर्वर में आ रही समस्याओं के दृष्टि गत रखते हुए ऑफलाइन आवेदन प्रपत्र भी प्राप्त किया जाए।
3) डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ के कार्य अवधि एवं कार्य स्थल तय नहीं होते।
4) माननीय उच्च न्यायालय, पटना के द्वारा एक डॉक्टर की बायोमैट्रिक अटेंडेंस के कारण वेतन अवरुद्ध होने से संबंधित याचिका पर सुनवाई के बाद निर्णय दिया कि डॉक्टर का नेचर ऑफ़ ड्यूटी स्पेशल है ।इसमें नाइट ड्यूटी भी करनी होती है । डॉक्टर के वेतन को अकेले बायोमैट्रिक अटेंडेंस के आधार पर नहीं रोका जा सकता । वेतन रोके जाने से संबंधित ऐसा कोई नियम नहीं है। माननीय न्यायालय ने कहा कि जिनकी ड्यूटी अवर फिक्स नहीं होती और जिनका ड्यूटी शिफ्ट में होता है, बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम उनके लिए अव्यावहारिक है। विभाग को संबंधित संगठन के लोगों के साथ बैठक कर इसका समाधान निकालना चाहिए।
5) सभी विभिन्न स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों में आईपीएस नॉर्म्स के अनुसार रिक्त पद के विरुद्ध बहाली नहीं हो जाती।
6) मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग को आकस्मिक सेवा मानते हुए बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से एक्सेम्पट किया है। इसलिए मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि स्वास्थ्य विभाग को भी बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से एक्जेम्प्ट किया जाए या यह घोषणा किया जाए कि स्वास्थ्य विभाग आकस्मिक सेवा नहीं है ।
7) शनिवार, रविवार एवं केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के घोषित अवकाशों के दिन भी स्वास्थ्य विभाग में छुट्टी नहीं होती। दैनिक ड्यूटी 24 * 7 की होती है। यानी बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के अनुसार हमें ओवर डे एवं ओवर टाइम की अतिरिक्त इंसेंटिव की व्यवस्था नहीं कर दी जाती। कार्मिक विभाग के अधिसूचना में इसे पूर्वाह्न 10:30 से अपराह्न 5:00 तक उपस्थिति दर्ज करने की बात की गई है यानी यह सिर्फ कार्यालय कर्मियों के लिए बनाई गई थी। इस आकस्मिक सेवा देने वाले विभाग में लागू नहीं होना चाहिए ।
8) संगठन के द्वारा दिनांक 28 मई 2024 को प्रधान सचिव को 15 सूत्री मांगो से संबंधित मांग पत्र सौपी गयी है , विशेषकर सेवा संपुष्टि, केंद्र एवं बिहार सरकार के तर्ज पर डायनेमिक एसीपी , प्रमोशन, स्पेशलिस्ट में समावेशन आदि। जब तक की हमारी मांगे मान नहीं ली जाती।
9) झारखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए , जनहित में, गांव के अंतिम व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मोहल्ला करने के उद्देश्य से क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में आवश्यक संशोधन को लेकर संगठन वर्षों से प्रयासरत है। तत्कालीन अवर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह के निर्देश पर अभियान निदेशक वीरेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय चिकित्सकों की टीम बनाई गई थी ,जिसने सुधार से संबंधित जरूरी सुझाव संकलित कर ,जिसमें हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के तर्ज पर 50 बेड से कम के अस्पतालों को क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट से मुक्त करना, विभाग को प्रस्तावित किया। साथ ही चर्चा की गई थी कि इसमें एक्ट में संशोधन की जरूरत नहीं है। सिर्फ रूल को परिवर्तित करना है जिसमें किसी कैबिनेट की मंजूरी या विधानसभा से पास होने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद भी इस पर अग्रतर कोई कार्रवाई नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। संगठन ने इस पर रोष व्यक्त किया है और कहा कि विभाग इस पर यथाशीघ्र ठोस कदम उठाए अन्यथा संगठन आंदोलन को मजबूर होगा और इसकी पूरी जवाबदेही विभाग की होगी।
बैठक के अंत में सभी सदस्यों ने देवघर के श्रावणी मेला में प्रति नियुक्त डॉक्टर अनंत कुमार के ड्यूटी के दौरान आकस्मिक मौत एवं कोलकत्ता मेडिकल कॉलेज में एक महिला चिकित्सक की असामयिक मौत के लिए 02 मिनट का मौन रखा और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।